अतुलित बलधामम्
आज की युवा पीढ़ी श्रुति, स्मृति, पुराण की भाषा नहीं जानती। अतः उन्हें आज के युग की धर्मानुसार विज्ञान की भाषा में समझाने की आवश्यकता है। यदि हम ठीक से समझाएं, संतुष्ट करें, उन्हें प्रश्नो, तर्कों और जिज्ञासा का विज्ञान की भाषा में उत्तर दे तो आज की पीढ़ी भी अध्यात्म और धर्म की उपासना में रुचि लेगी। सत्य है कि सभी महापुरुष, संत और बुजुर्ग वर्ग आज की युवा पीढ़ी के युवक-युवतियों पर चिल्लाते हैं। टीका टिप्पणी करते रहते हैं कि इस पीढ़ी को आध्यात्म उपासना, ईश्वर तथा धर्म में रुचि नहीं है, आकर्षण नहीं है। यह पीढ़ी नास्तिकों की भांति व्यवहार करती है , बातें करती है, तर्क- वितर्क करती रहती हैं; यह झूठा आरोप है। इस बात को स्पष्ट करने के लिए हमें संत तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस के एक सुंदर प्रसंग को जानना चाहिए। राम रावण युद्ध में रावण ने राम को नागपाश में बांध दिया था, नागपाश से मुक्त होने के लिए श्री राम ने गरुड़ जी को बुलाया। गरुड़ जी ने आकर राम को नागपाश से मुक्त किया, परंतु गरुड़ जी के मन में यह शंका उत्पन्न हुई कि जो प्रभु राम अपने भक्तजनों को भव बंधन से मुक्त करते हैं, वे स्वयं ना